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वो लड़की नहीं है वो एक तितली है - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

वो लड़की नहीं है वो एक तितली है

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कहाँ की कली थी कहाँ वो खिली है
उमड़ती नदी सी होके सरपट चली है

मैं जिसको अपना समझने लगा था
वो है कि किसी और के दर पे मिली है

भटकती वो फिरती हर भंवरे के पीछे
है वो चंचल हसीना वो मनचली है

तोड़ेगी दिल वो न जाने कितनों का
सज के सँवर के फिर घर से निकली है

कैसे ठहरेगी वो किसी के पहलू में "इंदर"
वो लड़की नहीं है वो एक तितली है

इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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