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मस्अला क्या है - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

मस्अला क्या है

  • 30
  • 4 Min Read

न ख्वाब न हिचकियों का सिलसिला है,मस्अला क्या है
न वो आया ना कोई खत मिला है, मस्अला क्या है

मस्अला था तभी तो बरसों नज़र अंदाज किया हमको
क्या बात,आज,अचानक से,गले मिला है,मस्अला क्या है

रोज कई यादों के शहर से होकर गुजरता था ये मन
आज एक ही स्टेशन पे रुका है,मस्अला क्या है

बरसों पहले एक नाम मिटाया था हथेली से उसने
आज फिर वही नाम लिखा है, मस्अला क्या है

जो अब तक चीख चीख के कहता था बुरा जिसको
वो आज उसी पक्ष में खड़ा है, मस्अला क्या है

इक मुद्दत से बगावत था जिस रंग से दिल को
आज फिर वही इश्क़ ए रंग चढ़ा है,मस्अला क्या है

कि बारहाँ मौसम की तरह बदल जाते हैं लोग यहाँ
क्यूँ हर सख्श इस क़दर गिरा है, मस्अला क्या है

इंदर भोले नाथ
बागी बलिया,उत्तर प्रदेश

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