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कवितानज़्म
जिंदगी अपनी है मिज़ाज अपना है, धुनभी अपनी है और साज अपना है! किसी गैरकी दखल नहीं मंज़ूर हमें, कलभी अपना है गर आज अपना है! @"बशर"