कविताअतुकांत कविता
तुम बन जाओ मेरी होली,
और मैं तेरे रंग बन जाऊं,
तुझको मुझमें रंगते रंगते,
मैं तेरे रंग में रंग जाऊं।
आती है जब फाग तो धरती का आंचल केसरिया रंग से रंग जाता है,
आग लगी हो कानन में जैसे,
वैसे ही पलाश भी तो खिल जाता है।
और होली तेरे आने से,
अंबर भी जैसे रंगों से रंग जाता है,
होली तेरे आने से,
अंबर भी जैसे रंगों से रंग जाता है।
और तेरे रंग बिरंगे अंबर में,
मैं उड़ती इक पंछी बन जाऊं,
तुझको मुझमें रंगते रंगते, मैं तेरे रंग में रंग जाऊं।
तुम बन जाओ मेरी होली और मैं तेरे रंग बन जाऊं,
~कविता पंथी
होली की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️🎉💫