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कवितानज़्म
सफ़र ज़िन्दगी की आसान हो गई होती रहगुज़र की अगर पहचान हो गई होती ना हम येह रास्ते कभी यूँ भटकते अपने न मंजिले-मक़्सूद आसमान हो गई होती © 'बशर' بشر.