कविताअतुकांत कविता
शीर्षक: शब्दों का संसार
शब्दों का अनोखा संसार है
शब्द ब्रह्म है, नाद ब्रह्म हैं
नाद ब्रह्म ही समस्त चराचर जगत है
सजता मधुर शब्दों से संसार है
अनन्त और अपरिमेय है शब्द
शब्द सृजनकर्ता है शब्द ही विध्वंसकर्ता
सृजन या विनाश शब्द रुपी शक्ति का आधार
इनका प्रयोग दुरुपयोग सुख दुख का आधार
मित्र, हितेषी, शत्रु ,अहितेषी बनाते हैं शब्द
मान सम्मान,सत्कार, पद, प्रतिष्ठा दिलवाते शब्द
रूखे, कठोर, असत्य वचन फैलाते वैमनस्य
भर जाता घाव तलवार का,मारक होते शब्द
कहते सही सयाने सब तोल मोल के बोल
शब्द हैं ब्रह्मास्त्र सम मर्यादा से बोल
शब्द ब्रह्म स्वरूप हैं शक्ति इनकी अनमोल
दिल न दुःखे किसी का बोलें ऐसे बोल।
गीता परिहार
अयोध्या