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अब जी चाहता हैं 🤐🤐
के थक गया हूं मैं ये किरदार निभाते निभाते वफादार होने का !
अब जी चाहता हैं मेरा ख़ुद से बेवफ़ा होने का !
थक गया हूं मैं सबको मनाते मनाते कोई मानता क्यूं नहीं यहां ?
अब जी चाहता हैं मेरा ख़ुद से खफ़ा होने का !
सब आते हैं जाते हैं कोई ठहरा क्यूं नहीं यहां ?
अब जी चाहता हैं मेरा सब की जिंदगी से ख़ुद दफ़ा होने का !
ख़ुद को मैंने कितना तन्हा और अकेला कर लिया यहां ?
अब जी चाहता हैं मेरा जिंदगी में सब कुछ नफ़ा होने का !
फिरोज़ खान मदनी