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कवितानज़्म
नेक और रहमदिल इन्सान से राब्ता जोड़ लो तो अच्छा ग़ुरूर ओ गुमाँ का अहमक़ाना रास्ता छोड़ दो तो अच्छा कदम-कदम पर पछताना पड़े हयाते- मुस्त'आर में अगर जिंदगी में अपने बशर ऐसे रिश्ता नाता तोड़दो तो अच्छा © 'बशर' بشر.