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ऐसे रिश्ता-नाता तोड़दो तो अच्छा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ऐसे रिश्ता-नाता तोड़दो तो अच्छा

  • 33
  • 2 Min Read

नेक और रहमदिल इन्सान से राब्ता जोड़ लो तो अच्छा
ग़ुरूर ओ गुमाँ का अहमक़ाना रास्ता छोड़ दो तो अच्छा
कदम-कदम पर पछताना पड़े हयाते- मुस्त'आर में अगर
जिंदगी में अपने बशर ऐसे रिश्ता नाता तोड़दो तो अच्छा
© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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