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कवि हो जाना - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कवि हो जाना

  • 394
  • 5 Min Read

जब लगे ज़िंदगी गजल हो गयी है।
सुनो तुम कवि हो जाना।
खाली बोतलों में जब भरना हो नशा
बहकर जब हवाओं के पार जाना हो।
जब भर गया हो मर्तबान चाहतों का
सुनो तुम कवि हो जाना

लोग चलने लगे अंधकार में दिया बन
गरीबी की चादर जब बड़ी होने लगे
सताए याद किसी की निशा में जब भी
सुनो तुम उस वक्त कवि हो जाना

पन्ने जब मन के किसी के दुख से भरने लगे
जब खनक रही हो चूड़ी किसी खेत की मेड पर
जब जज्बात के बांध से भावनाएँ टूटने लगे
बस उसी वक़्त कवि हो जाना।

तुम कवि होना पर सुनो एक बात मेरी भी।
आहटें जब किसी के सीने को चीर दे
जब पोंछने हो आँसू किसी के अकेलेपन से
कोई तुम्हे आवाज दे मदद के अंधकार में
तुम उस वक़्त बिल्कुलकवि मत होना

उपहास के आनन्द में जब लोग अंधे हो जाये
जब बदन पर खरोंचे तुम्हारे पड़ रही हो
जब वक्त तुम्हे अपनी तरफ खींच रहा हो।
सुनो तुम कवि मत होना।

तब तुम एक इंसान बनना
पढ़ना खुद को हर रोज
पन्ना हर्फ दर हर्फ
फिर बनना कवि कलम की ताकत बन
नेहा के आकाश में एक कवि भर देना।
और कहना मेरी कलम ही मेरी आवाज है।
कुछ ऐसे कवि हो जाना
हाँ तुम बिल्कुल ऐसे ही कवि हो जाना। - नेहा शर्मा

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

SUNDAR BHAV .. !

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

निःशब्द कर दिया

नेहा शर्मा3 years ago

शुक्रिया आदरणीय। यह रचना मेरडी पसन्दीदा रचनाओं में से एक है ?

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