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तजुर्बात -ए-हयात - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

तजुर्बात -ए-हयात

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उम्र -ए-हयात हमें किताबी दौर से बाहर ले आती है,
सबक किताब-ए-हयात के हमें खुद जिंदगी पढाती है!

किसी मकतब का कोई उस्ताद कभी ना बता पाया,
वोह बात "बशर" तजुर्बात -ए -हयात हमें बतलाती है!
@"बशर"

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