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अपना किसीको बनाने में - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अपना किसीको बनाने में

  • 64
  • 2 Min Read

खुद को भी खो देना पड़ता है यहाँपे किसी को पाने में
बमुश्किल मिलता है किसीपे हक जताने का जमाने में

पल-भर 'बशर' लगता नहीं बेगाना किसीको बनाने में
उम्रे - तमाम गुज़र जाती है अपना किसी को बनाने में

© "बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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