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कवितानज़्म
हम वही हैं हमारे मिज़ाज वही हैं बदलने वालों में शुमार नहीं हैं हम, हां मग़र ये भी सच है के बदले हुओं से मिलने को तैयार नहीं हैं हम! © 'बशर' بشر