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रुह ने भरी है परवाज़ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रुह ने भरी है परवाज़

  • 6
  • 1 Min Read

सोच अल्फ़ाज और तिरी आवाज़
ख़ामोश होगए हैं सबकेसब आज

अभी अभी बेज़ान हुआ है ज़िस्म
अभी अभी रुह ने भरी है परवाज़
© "बशर" بشر

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