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भगवान भी प्रतीक्षा में घर के बाहर खड़े हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

भगवान भी प्रतीक्षा में घर के बाहर खड़े हैं

  • 26
  • 1 Min Read

अपने भीतर हम अपनी ही अनासे इस क़दर भरे पड़े हैं,
कि साक्षात् भगवान भी प्रतीक्षा में घर के बाहर खड़े हैं!

@"बशर"

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