Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मां त्रिपुर सुंदरी - Anujeet Iqbal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मां त्रिपुर सुंदरी

  • 212
  • 3 Min Read

माँ त्रिपुर सुंदरी


जीवन में तुम्हारी स्पर्शमणि से
परम तत्व की प्रतिच्छाया
प्रकाशित होती
और संसार चक्र के
धुँधियाले में भयविह्वल
साधनारत मैं
जीवनोत्सर्ग को आतुर
मुक्ति की सँकरी पगडंडी पर
चलने को अधीर

तुम्हारा अनवरत चिंतन
हटाता चंहु ओर से
परिवेष्टित धुंआ
और तमाच्छादित अंतस को
बना देता
प्रस्फुरित और गुंजरित

न कोई कामना, न आवृति
निर्बाध समय की तरंग के साथ
मैं प्रवाहित होती
बिना निषेध के
राजी हो कर

जब जब मैं देती प्राणाहुति
न बचती देह, न अवशेष
केवल यह वीरान मरघट

चिता से उठती निर्धुम अग्नि
तुम्हारे श्यामवर्ण को
और भी
धूम्रलोहित कर देती

अनुजीत इकबाल

FB_IMG_1617423766059_1618301247.jpg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

'' मां '' पर बहुत सुन्दर स्रजन..!

Pallavi Rani

Pallavi Rani 3 years ago

सुंदर शब्द संयोजन

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

2 बार पोस्ट की क्या 🤔

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg