कवितालयबद्ध कविता
दिल दरिया और हम समंदर हो गए।
गली के लड़के बड़े छछुंदर हो गए।
परेशान करने लगे है आते जाते गली से।
एक रिपोर्ट की सब अंदर हो गए।
क्या बताये नेहा जमाना खराब है।
एक देखा था लगा सब बंदर हो गए।
उतर गए मन से मुए लड़के सारे।
छेड़ छेड़ लड़कियों को जो सिकन्दर हो गए।
बड़ी चढ़ाई थी देख उसको भृकुटि जालिमो ने।
पड़ा जो डंडा सब हरीश चन्दर हो गए। - नेहा शर्मा