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कविताअतुकांत कविता
ये धरा, उजाड़ दिए गयी, नयी बस्ती, बना ली गयी और बात की जब, तरु लगाने की, तो जवाब मिला, धरा कहा बची है, तरु लगाने की, तो जवाब मिला, धरा कहा बची है, तरु लगाने की,