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Sahitya Arpan - hem chandra
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hem chandra

'हेमराज'

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  • कवितालयबद्ध कविता

    कुछ गीत- कविताये हमारी,

    • Added 2 weeks ago
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    • 67
    • 4 Mins Read

    कुछ गीत- कविताये हमारी,
    लिख दी जाती,
    पढ़ ली जाती,
    नारी- सम्मान में,
    और सुनकर...
    तालियाँ बजाकर,
    सम्मान पा जाती,
    कुछ गीत- कविताये हमारी,

    पर राक्षसी प्रवृति का कुछ समाज,
    अपने को स्वयं अवतरित आदर्श,
    मानकर
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    कुछ गीत- कविताये हमारी,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जिन्दगी देखे थे,

    • Added 1 month ago
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    • 211
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    याद आती होगी,वो बचपने की,
    जहाँ माँ के छाँव में, जिन्दगी देखे थे
    खेले -कूदे खूब मगर, आंगन गलियों में,
    गिरकर संभलना सीखे थे
    पितृ अंगुली पकङ के,वो चलते थे,
    बारिश के पानी मे,छप-छप कूदते थे,
    याद आती होगी,वो
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    जिन्दगी देखे थे,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    आजादी गाथा लिख दे,- पहाड़ी हिन्दी शौर्य कविता

    • Added 1 month ago
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    • 201
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    जिनूल आजादी गाथा लिख दे,
    वन्दन नमन छू वीरों को,
    सल्ट क्रान्ति के रण बाँकुरो को
    वन्दन नमन छू वीरों को,

    याद आनी आज ले हमुके,
    जो हमर क्रान्ति योध्दा छीं,
    वीरों धरती जनम हमर,
    हम वीरों की धरती क वासी
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     आजादी गाथा लिख दे,- पहाड़ी हिन्दी शौर्य कविता ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दुश्मनों की चढ़ छाती पर-देशभक्ति कविता

    • Added 1 month ago
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    • 622
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    कुछ गीत लिखे,
    गाये जाते विशेष पर्व पर,
    वो तो हर समय,
    वो गीत गाता,
    दुश्मनों की चढ़ छाती पर,
    दहाङ कर,
    क्यों भूल जाते प्रेम- प्रेम को,
    प्रेम गीत गाने वाला,
    वीरत्व दिखाता रणभूमि पर,

    कुछ तारीखे,
    वक्त के
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    दुश्मनों की चढ़ छाती पर-देशभक्ति कविता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    गुरू सेवा हो,

    • Added 2 months ago
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    • 228
    • 4 Mins Read

    जीवन का लक्ष्य ये बना के चलो,
    गुरू सेवा हो,
    बिन गुरू नाम लिये,
    दिन कैसे शूरू हो,
    होश संभाले इस धरा पर,
    फिर बिना गुरू नाम लिये,
    ये रात क्यों सुनी हो,
    जीवन का लक्ष्य ये,
    गुरू सेवा हो,

    कलयुग है,पर
    अज्ञानी
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    गुरू सेवा हो,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    पहाङी हूँ,पहाङ चढे-उतरे है,

    • Added 2 months ago
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    • 691
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    अब भी सीना तान,
    बाजू फैला,
    वो खङे है,
    जीवन की हर दुख-दर्द,
    को सहते है,
    जिन्दगी में बहुत कुछ सीखा,
    बहुत कुछ देखा,
    पर कठिनाइयों से भागते
    मन को सीखा देते है,
    पथ हो ,कितने विशाल,
    मगर चोटी तक पहुंचा देते
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    पहाङी हूँ,पहाङ चढे-उतरे है,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हरेला आने वाला है,

    • Added 2 months ago
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    • 316
    • 3 Mins Read

    कुछ प्रकृति प्रेम के वो त्यौहार,
    हमेशा से पर्यावरण,
    बचाने का संकल्प देते है,
    मानसखण्ड का ये त्यौहार,
    जो सदियों से बनाया गया है,
    कैमरों से दूर,सादगी संग,
    खुशहाली का प्रतीक,
    हरेला आने वाला है,

    सावन
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    हरेला आने वाला है,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    चार दीवारें रोती होगी,

    • Added 2 months ago
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    • 23
    • 4 Mins Read

    चार दीवारें रोती होगी,
    तेरे ना आने के गम में,
    ये आँख आँसू बहाती होगी,
    वो पथ भी तुझे ढूंढते होगे,
    जिन पथों पर चल तुने,
    राष्ट्रभक्ति चुनी होगी,
    चार दीवारें रोती होगी,
    तेरे ना आने के गम में,
    ये आँख आँसू
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    चार दीवारें रोती होगी,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मिट्टी

    • Added 2 months ago
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    • 477
    • 3 Mins Read

    ये मिट्टी,
    कुछ इसे खरीद लेते है,
    ये मिट्टी,
    कुछ इसे बेच देते है,
    कही लालच मिट्टी का,
    कही मिट्टी की इज्जत है,
    पर पता है
    ये मिट्टी,
    कुछ इसे खरीद लेते है,

    मिट्टी में ही तो,
    इतने बङे हुये,
    फिर बिन मिट्टी,
    जीवन
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    मिट्टी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    प्रेम न था,-हिन्दी कविता

    • Added 3 months ago
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    • 440
    • 5 Mins Read

    वक्त था,प्रेम का,
    बस प्रेम न था,
    इस मन मे,
    कोई बस ना पाया था,
    कोशिश है,प्रेम की,
    बस प्रेम न था,

    किसी रोज तुम आये,
    तुम देखा किये,
    फिर रोज आकर देखा किये,
    ये हमारा भ्रम है कि,
    बस प्रेम न था,

    हमे लगा मानो,
    जिन्दगी
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    प्रेम न था,-हिन्दी कविता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तरु लगाने की,

    • Added 3 months ago
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    • 83
    • 1 Mins Read

    ये धरा,
    उजाड़ दिए गयी,
    नयी बस्ती,
    बना ली गयी
    और बात की जब,
    तरु लगाने की,
    तो जवाब मिला,
    धरा कहा बची है,
    तरु लगाने की,
    तो जवाब मिला,
    धरा कहा बची है,
    तरु लगाने की,

    तरु लगाने की,,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    क्यों छिप जाता,

    • Added 4 months ago
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    • 136
    • 5 Mins Read

    वो रोज जाग,
    फिर क्यों छिप जाता,
    दिनकर रवि राज के उदित होने से,
    पहले मानव जाग जाता,
    रोज सवेरे हमें जगाकर,
    इस जग को प्रकाशमान बनाता,
    वो रोज जाग,
    फिर क्यों छिप जाता,

    ये पंछियों का कौतूहल,
    चलती शीतल
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    क्यों छिप जाता,,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हालातों से मजबूर

    • Added 4 months ago
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    • 120
    • 2 Mins Read

    रवि राज की तपिश में,ठंडी के मौसम में
    बारिश के मौसम से,
    अपना ही आशियाना वही बना था,
    क्योंकि मैं मज़दूर था,
    पर हालातों से मजबूर था,

    कड़ी मेहनत कर, दूसरों का दिल जीता था,
    अपने मन में सपना लेकर,अपनी जिंदगी
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    हालातों से मजबूर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यादों का सफर

    • Added 5 months ago
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    • 52
    • 1 Mins Read

    कुछ अनचाही यादें,
    चाहकर भी ना भूल पाए,
    याद आये तो बहुत वो,
    बस नयनजल आखों से,
    ना मिटा पाए,
    अब तो आखों का नीर,
    थम सा गया,
    बस उनकी यादों का सफर,
    उनके जाने के बाद,
    किसी और के आने से,
    ना भुला पाए,

    यादों का सफर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    वन गमन सुखद अहसास

    • Added 5 months ago
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    • 47
    • 3 Mins Read

    वन गमन सुखद अहसास होगा,
    मार्ग में चारों ओर शांति का अहसास होगा,
    यही थोड़ी दूर कही मानव बस्ती अब,
    मन शंकाओं मे ये अहसास होगा,
    वन गमन सुखद अहसास होगा,

    वन गमन मे नाना प्रकार की,
    तरु लतायें शोभा पाती,
    कहीं
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    वन गमन सुखद अहसास ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    वीर चरणों के स्पर्श से...

    • Added 5 months ago
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    • 236
    • 3 Mins Read

    जो माटी, वीर खून से शोभा पाती हो,
    शत शत नमन, वीर माटी मेरा लहू भी तेरे लिए हो,
    वंदन हो उस माटी का,
    जो वीर चरणों के स्पर्श से पवित्र हो,

    ये सांसे भी किस काम की,
    जो काम तेरे ना आये माटी,
    ये जीवन मुक्ति भी
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    वीर चरणों के स्पर्श से...,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    केशों से तुम कह दो-कविता

    • Added 6 months ago
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    • 317
    • 3 Mins Read

    इन केशों से तुम कह दो,
    यूँ नयनों के सामने ना आजाया करें,
    जरा नजरो से नजरे तुम,
    आज मिला लेने दिया करें
    इन केशों से तुम कह दो,
    यूँ नयनों के सामने ना आजाया करें,

    हो जायेगा प्यार तुम्हें तो,
    हम दिल मे तस्वीर
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    केशों से तुम कह दो-कविता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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