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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
कुछ गीत- कविताये हमारी,
लिख दी जाती,
पढ़ ली जाती,
नारी- सम्मान में,
और सुनकर...
तालियाँ बजाकर,
सम्मान पा जाती,
कुछ गीत- कविताये हमारी,
पर राक्षसी प्रवृति का कुछ समाज,
अपने को स्वयं अवतरित आदर्श,
मानकर
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कवितालयबद्ध कविता
याद आती होगी,वो बचपने की,
जहाँ माँ के छाँव में, जिन्दगी देखे थे
खेले -कूदे खूब मगर, आंगन गलियों में,
गिरकर संभलना सीखे थे
पितृ अंगुली पकङ के,वो चलते थे,
बारिश के पानी मे,छप-छप कूदते थे,
याद आती होगी,वो
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कवितालयबद्ध कविता
जिनूल आजादी गाथा लिख दे,
वन्दन नमन छू वीरों को,
सल्ट क्रान्ति के रण बाँकुरो को
वन्दन नमन छू वीरों को,
याद आनी आज ले हमुके,
जो हमर क्रान्ति योध्दा छीं,
वीरों धरती जनम हमर,
हम वीरों की धरती क वासी
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कवितालयबद्ध कविता
कुछ गीत लिखे,
गाये जाते विशेष पर्व पर,
वो तो हर समय,
वो गीत गाता,
दुश्मनों की चढ़ छाती पर,
दहाङ कर,
क्यों भूल जाते प्रेम- प्रेम को,
प्रेम गीत गाने वाला,
वीरत्व दिखाता रणभूमि पर,
कुछ तारीखे,
वक्त के
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कवितालयबद्ध कविता
जीवन का लक्ष्य ये बना के चलो,
गुरू सेवा हो,
बिन गुरू नाम लिये,
दिन कैसे शूरू हो,
होश संभाले इस धरा पर,
फिर बिना गुरू नाम लिये,
ये रात क्यों सुनी हो,
जीवन का लक्ष्य ये,
गुरू सेवा हो,
कलयुग है,पर
अज्ञानी
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कवितालयबद्ध कविता
अब भी सीना तान,
बाजू फैला,
वो खङे है,
जीवन की हर दुख-दर्द,
को सहते है,
जिन्दगी में बहुत कुछ सीखा,
बहुत कुछ देखा,
पर कठिनाइयों से भागते
मन को सीखा देते है,
पथ हो ,कितने विशाल,
मगर चोटी तक पहुंचा देते
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कवितालयबद्ध कविता
कुछ प्रकृति प्रेम के वो त्यौहार,
हमेशा से पर्यावरण,
बचाने का संकल्प देते है,
मानसखण्ड का ये त्यौहार,
जो सदियों से बनाया गया है,
कैमरों से दूर,सादगी संग,
खुशहाली का प्रतीक,
हरेला आने वाला है,
सावन
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कवितालयबद्ध कविता
चार दीवारें रोती होगी,
तेरे ना आने के गम में,
ये आँख आँसू बहाती होगी,
वो पथ भी तुझे ढूंढते होगे,
जिन पथों पर चल तुने,
राष्ट्रभक्ति चुनी होगी,
चार दीवारें रोती होगी,
तेरे ना आने के गम में,
ये आँख आँसू
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कवितालयबद्ध कविता
वक्त था,प्रेम का,
बस प्रेम न था,
इस मन मे,
कोई बस ना पाया था,
कोशिश है,प्रेम की,
बस प्रेम न था,
किसी रोज तुम आये,
तुम देखा किये,
फिर रोज आकर देखा किये,
ये हमारा भ्रम है कि,
बस प्रेम न था,
हमे लगा मानो,
जिन्दगी
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कविताअतुकांत कविता
ये धरा,
उजाड़ दिए गयी,
नयी बस्ती,
बना ली गयी
और बात की जब,
तरु लगाने की,
तो जवाब मिला,
धरा कहा बची है,
तरु लगाने की,
तो जवाब मिला,
धरा कहा बची है,
तरु लगाने की,
कवितालयबद्ध कविता
वो रोज जाग,
फिर क्यों छिप जाता,
दिनकर रवि राज के उदित होने से,
पहले मानव जाग जाता,
रोज सवेरे हमें जगाकर,
इस जग को प्रकाशमान बनाता,
वो रोज जाग,
फिर क्यों छिप जाता,
ये पंछियों का कौतूहल,
चलती शीतल
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कवितालयबद्ध कविता
रवि राज की तपिश में,ठंडी के मौसम में
बारिश के मौसम से,
अपना ही आशियाना वही बना था,
क्योंकि मैं मज़दूर था,
पर हालातों से मजबूर था,
कड़ी मेहनत कर, दूसरों का दिल जीता था,
अपने मन में सपना लेकर,अपनी जिंदगी
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कवितालयबद्ध कविता
कुछ अनचाही यादें,
चाहकर भी ना भूल पाए,
याद आये तो बहुत वो,
बस नयनजल आखों से,
ना मिटा पाए,
अब तो आखों का नीर,
थम सा गया,
बस उनकी यादों का सफर,
उनके जाने के बाद,
किसी और के आने से,
ना भुला पाए,
कवितालयबद्ध कविता
वन गमन सुखद अहसास होगा,
मार्ग में चारों ओर शांति का अहसास होगा,
यही थोड़ी दूर कही मानव बस्ती अब,
मन शंकाओं मे ये अहसास होगा,
वन गमन सुखद अहसास होगा,
वन गमन मे नाना प्रकार की,
तरु लतायें शोभा पाती,
कहीं
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कवितालयबद्ध कविता
जो माटी, वीर खून से शोभा पाती हो,
शत शत नमन, वीर माटी मेरा लहू भी तेरे लिए हो,
वंदन हो उस माटी का,
जो वीर चरणों के स्पर्श से पवित्र हो,
ये सांसे भी किस काम की,
जो काम तेरे ना आये माटी,
ये जीवन मुक्ति भी
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कवितालयबद्ध कविता
इन केशों से तुम कह दो,
यूँ नयनों के सामने ना आजाया करें,
जरा नजरो से नजरे तुम,
आज मिला लेने दिया करें
इन केशों से तुम कह दो,
यूँ नयनों के सामने ना आजाया करें,
हो जायेगा प्यार तुम्हें तो,
हम दिल मे तस्वीर
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