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दुश्मनों की चढ़ छाती पर-देशभक्ति कविता - hem chandra (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

दुश्मनों की चढ़ छाती पर-देशभक्ति कविता

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कुछ गीत लिखे,
गाये जाते विशेष पर्व पर,
वो तो हर समय,
वो गीत गाता,
दुश्मनों की चढ़ छाती पर,
दहाङ कर,
क्यों भूल जाते प्रेम- प्रेम को,
प्रेम गीत गाने वाला,
वीरत्व दिखाता रणभूमि पर,

कुछ तारीखे,
वक्त के साथ भुला दी गई,
कुछ याद बन,
हमेशा संग रह गई,
वीरगति पाने वाले योद्धा की वो कहानी,
इतिहास के पन्नों पर,
कुछ गीत लिखे,
गाये जाते विशेष पर्व पर,
वो तो हर समय,
वो गीत गाता,
दुश्मनों की चढ़ छाती पर,

आने वाली पीढ़ियों को,
नारी श्रृंगार,
क्यों ना अच्छा लगता हो,
धरा जननी समान,
फिर क्यों ना ये श्रृंगार,
जीवन में हो,
बहुत लहराते होगे गगन में,
कुछ अलग रंग के झण्डे,
पर तिरंगे में लिपटकर आना,
हर किसी का सौभाग्य नही,
हर किसी का सौभाग्य नही,
कुछ गीत लिखे,
गाये जाते विशेष पर्व पर,
वो तो हर समय,
वो गीत गाता,
दुश्मनों की चढ़ छाती पर,

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