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चार दीवारें रोती होगी, - hem chandra (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

चार दीवारें रोती होगी,

  • 23
  • 4 Min Read

चार दीवारें रोती होगी,
तेरे ना आने के गम में,
ये आँख आँसू बहाती होगी,
वो पथ भी तुझे ढूंढते होगे,
जिन पथों पर चल तुने,
राष्ट्रभक्ति चुनी होगी,
चार दीवारें रोती होगी,
तेरे ना आने के गम में,
ये आँख आँसू बहाती होगी,

आया तो था, बस तु साथ सब के था,
खिले फूलों से, तेरा तन सजा था,
तिरंगा तेरे तन की शोभा बङाता,
हर तरफ तेरी जय कार का नारा,
गूंज उठा था,
चार दीवारें रोती होगी,
तेरे ना आने के गम में,
ये आँख आँसू बहाती होगी,

ये चार दीवारें वो थी,
जहाँ तेरी, अपनी जिन्दगी स्वप्न देखती थी,
दुश्मन आँख उठा कर देखा था,
छुपकर वार किया था,
रोते होंगे तेरे अपने,
संग जीवन साथी भी ,
आँसू बहाता था,
नमन है तुझको,तेरी वीरता को,
चार दीवारें रोती होगी,
तेरे ना आने के गम में,
ये आँख आँसू बहाती होगी,

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