कवितालयबद्ध कविता
वन गमन सुखद अहसास होगा,
मार्ग में चारों ओर शांति का अहसास होगा,
यही थोड़ी दूर कही मानव बस्ती अब,
मन शंकाओं मे ये अहसास होगा,
वन गमन सुखद अहसास होगा,
वन गमन मे नाना प्रकार की,
तरु लतायें शोभा पाती,
कहीं उगी हरी घास,
पशु झुंड विचरण शोभा पाती,
पंछी चहचहाहट से ये जग चहके,
दूर कहीं वन चर ध्वनि व्यापत रहती,
मन शंकाओं मे ये अहसास होगा,
वन गमन सुखद अहसास होगा,
तरु भी कितने नाना प्रकार के वन में,
ये कितना सुन्दर व रमणीय अहसास होगा,
राह भले ही कितनी ही मुश्किल क्यों ना हो,
सृष्टि को इन नयनों से सुसज्जित सुसोभित,
अहसास होगा,
मन शंकाओं मे ये अहसास होगा,
वन गमन सुखद अहसास होगा,