कवितालयबद्ध कविता
रवि राज की तपिश में,ठंडी के मौसम में
बारिश के मौसम से,
अपना ही आशियाना वही बना था,
क्योंकि मैं मज़दूर था,
पर हालातों से मजबूर था,
कड़ी मेहनत कर, दूसरों का दिल जीता था,
अपने मन में सपना लेकर,अपनी जिंदगी जिया था,
किसी ने ना पूछा था,मेरी भूख को,
भूख से लड़ ,ना जाने कितने पेट पाल लिया था,
क्योंकि मैं मज़दूर था,
पर हालातों से मजबूर था,