कवितालयबद्ध कविता
जो माटी, वीर खून से शोभा पाती हो,
शत शत नमन, वीर माटी मेरा लहू भी तेरे लिए हो,
वंदन हो उस माटी का,
जो वीर चरणों के स्पर्श से पवित्र हो,
ये सांसे भी किस काम की,
जो काम तेरे ना आये माटी,
ये जीवन मुक्ति भी कैसी,
आख़री क्षण तेरे लिए ना हो माटी,
मेरे तन का एक -एक रक्त काम आये,
ईश करें, ऐसा ही हो माटी,
वंदन हो उस माटी का,
वीर चरणों के स्पर्श से पवित्र हो,
अपने घर द्वार आँगन को,
जो त्याग कर गया हो,
असली वीर वही जो मां,
तेरी रक्षा के लिए तत्पर हो,
तुझसे ही मां ये सांसे पायी है,
शत शत नमन, उन वीरों को,
जिनकी सांसे तेरे लिए समर्पित हो,
वंदन हो उस माटी का,
वीर चरणों के स्पर्श से पवित्र हो,