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कवितानज़्म
हम को तो यारो मरे हुए इक ज़माना हुआ यौम-ए-विलादत मेरा ये कैसे मनाना हुआ जब तक रहे जिंदा हर अपना बेगाना हुआ बाद मरनेके क्यूं ज़माना मेरा दीवाना हुआ @"बशर"