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सफ़र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सफ़र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर

  • 36
  • 1 Min Read

सफ़र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर दीन-ओ-ईमान
उसूल-ए-हक़ की रहगुज़र पर मुक़म्मल होता है!

गोयाके जिन्दगी कोई पहेली नहीं हक़ीक़त है
इसका हर सवाल सच की बिनापर हल होता है!

© 'बशर' بشرؔ

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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