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कवितानज़्म
सफ़र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर दीन-ओ-ईमान उसूल-ए-हक़ की रहगुज़र पर मुक़म्मल होता है! गोयाके जिन्दगी कोई पहेली नहीं हक़ीक़त है इसका हर सवाल सच की बिनापर हल होता है! © 'बशर' بشرؔ