कविताअन्य
ज़िंदगी में मेरी तुम आ तो गए हो-2
रूह में मेरी समाओगे कब।
रिश्ता तो बना लिया है मुझसे तुमने-2
उस रिश्ते को दिल से निभाओगे कब।
तेरा साथ चाहती हूँ, और बस तुझे साथ चाहती हूँ-2
तुझे ही दोस्त,जीवनसाथी,हमदम,हमसफर माना है सब।
क्या बताऊँ तुझे और कैसे बताऊँ ये-2,
के तेरे होकर भी न होने से अधूरा सा लगता है सब।
हर रास्ता तेरे बिना चलना मुझे अच्छा नहीं लगता,
सफर ज़िंदगी का मुझे अब सच्चा नहीं लगता,
मेरे हमसर, मेरे रहगुज़र तुझे मेैंने माना है अपना रब,
चलो अब बताओ,
के ज़िंदगी में मेरी तुम आ तो गए हो-2
रूह में मेरी समाओगे कब।
रिश्ता तो बना लिया है मुझसे तुमने-2
उस रिश्ते को दिल से निभाओगे कब।
©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद,हरियाणा