Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बस अच्छा लगता है। - Jyotsana Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बस अच्छा लगता है।

  • 200
  • 4 Min Read

बस अच्छा लगता है



कभी-कभी अपने ही लिए जीना
बस अच्छा लगता है।

छत की मुँडेर पर बैठ बेसुरा ही सही गुनगुनाना
बस अच्छा लगता है।

देर तक सूखी ही सही पर घास में अपने ही कदम से कदम मिलना
बस अच्छा लगता है।

तेज़ धूप की तपन में छाँव का वो छोटा सा टुकड़ा भले ही घमस से भरा हो पर मेरे लिए हो
बस अच्छा लगता है।

अंधेरी रात में घने बादलों में छुप का निकलता वो एक टुकड़ा चाँद चाहे मेरा न हो पर वो एक जुगनू मेरा हो
बस अच्छा लगता है।

रंगों से कोई ख़ास नाता नहीं है मेरा सारे रंग तुम्हारे हो वो ख़ुशी का एक रंग मेरा हो
बस अच्छा लगता है

जहाँ कोई मुझे तुम्हारी, इसकी या उसकी न कहे बस मुझे मेरे ही नाम से जाने
बस अच्छा लगता है।

कभी-कभी अपने ही लिए जीना सच में
बस अच्छा लगता है।



ज्योत्सना सिंह
लखनऊ
7:18pm.
18-8-2020

39830FC0-FBE7-41AC-B817-2EC258CD34EE_1597836044.jpeg
user-image
Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

सुंदर रचना👌

Jyotsana Singh

Jyotsana Singh 3 years ago

🙏🏻🙏🏻

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत खूबसूरत एहसास..!

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत प्यारी रचना

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg