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Sahitya Arpan - Jyotsana Singh

कहानीसामाजिक

वो बुढ़िया और मैं

  • Edited 3 years ago
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  • 408
  • 20 Mins Read

वो बुढ़िया और मैं
सुबह सुहानी और रात सच में रजनीगंधा सी महकने लगी। देश लाकडाउन क्या हुआ कि प्राकृत की तो जवानी लौट आई।
एक तरफ़ जहाँ वायरस का भूत हमारी साँसो और सोसाइटी का दुश्मन बन हमें फिर से छुआ
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वो बुढ़िया और मैं,<span>सामाजिक</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

अत्यंत सुन्दर रचना और महत्वपूर्ण सन्देश..! लाक डाउन ने हमें, आत्मविश्लेषण का सुअवसर तो दिया ही है. रोजमर्रा की भागदौड़ से दूर. कुछ अपनों का सान्निध्य.! अब यह हमारे ऊपर है कि हम कितना सीखते हैं..!

कविताअतुकांत कविता

बस अच्छा लगता है।

  • Edited 3 years ago
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  • 199
  • 4 Mins Read

बस अच्छा लगता है



कभी-कभी अपने ही लिए जीना
बस अच्छा लगता है।

छत की मुँडेर पर बैठ बेसुरा ही सही गुनगुनाना
बस अच्छा लगता है।

देर तक सूखी ही सही पर घास में अपने ही कदम से कदम मिलना
बस अच्छा लगता
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बस अच्छा लगता है।,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

सुंदर रचना👌

Jyotsana Singh

Jyotsana Singh 3 years ago

🙏🏻🙏🏻

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत खूबसूरत एहसास..!

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत प्यारी रचना

कहानीप्रेम कहानियाँ

रुकी हुई ज़िंदगी भाग-३

  • Edited 3 years ago
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  • 170
  • 11 Mins Read

रुकी हुई ज़िंदगी भाग -३
लेकिन बैटरी अंकल ने मुझे फिर से चार्ज कर दिया और बोले।
“आप भी न बाबा अरे ये दुनिया हैं यहाँ हर इंसान दूसरे इंसान से अलग है।
अगर आप ग़ुस्सा न हो तो आप को अपने फ़्लैट के ठीक ऊपर
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रुकी हुई ज़िंदगी भाग-३,<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत खूबसूरत ज़िंदगी से भरी कहानी

कहानीप्रेम कहानियाँ

रुकी हुई ज़िंदगी भाग-२

  • Edited 3 years ago
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  • 166
  • 19 Mins Read

रुकी हुई ज़िंदगी भाग-२
इस वक्त वह मेरी आँखो से ओझल हो गई थी मैंने अपना पूरा दिमाग़ लगाया कि पक्का मेरे ही टावर में इसका फ़्लैट है।
तभी मेरी ब्लैक काफ़ी के साथ बैटरी अंकल ने मेरे कमरे में प्रवेश
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रुकी हुई ज़िंदगी भाग-२,<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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कहानीप्रेम कहानियाँ

रुकी हुई ज़िंदगी भाग -१

  • Edited 3 years ago
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  • 278
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बारिश वाला प्यार भाग १

रुकी हुई ज़िंदगी

सामने वो भीग रही थी बिलकुल पागलों सी मैं उसे तब से देखे जा रहा हूँ जब से ये बरसात शुरू हुई है।
कभी पानी की बूँदे अपने आँचल में भरती है तो कभी अपना दुपट्टा
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रुकी हुई ज़िंदगी भाग -१,<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

खूबसूरत रचना..!

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

बहुत सुन्दर

Anil Dhawan Sirsa

Anil Dhawan Sirsa 3 years ago

बहुत खूबसूरत

कहानीसामाजिक

सुरक्षा घेरा

  • Edited 3 years ago
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  • 99
  • 12 Mins Read

सुरक्षा घेरा


सुमि उदास सी खिड़की के बाहर सूनी सड़कों को देख रही थी कि मम्मा ने आवाज़ दी।
“सुमि बेटा नाश्ता तैयार है। आपकी पसंद की इडली और नारियल की चटनी बनाई है आ जाओ जल्दी से।”
सुमि की उदासी
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सुरक्षा घेरा ,<span>सामाजिक</span>
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कहानीसामाजिक

फ़िक्र

  • Edited 3 years ago
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  • 175
  • 5 Mins Read

फ़िक्र

“साथ हम भी चलेंगे।”
“ओफ़ओ !”
“हर वक्त हमें तुम्हारी फ़िक्र रहती है।”
“तुम दोनो ने तो मेरी साँसो पर पहरा लगा रखा है।”
“हमें बस तुम्हारी चिंता है आख़िर!”
बीच में उन्हें टोकते हुए वो बोली।
“मैं
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फ़िक्र,<span>सामाजिक</span>
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Jyotsana Singh

Jyotsana Singh 3 years ago

शुक्रिया अंकिता री पोस्ट के लिए

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर और सामयिक..!

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर और सामयिक..!