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कवितानज़्म
रिंद कोभी सब-कुछ याद आता है होश में आने के बाद दैर-ओ-हरम भी आते हैं उसकी डगर में मैखाने के बाद मसला हीतो होशो-हवास सब्र ओ ताब का ठहरा बशर पीने-वाला तो होश ही में आता है गलेतक पीने के बाद © 'बशर' bashar بسر.