कविताअतुकांत कविता
अब के बरस सावन में..
एक वृक्ष ऐसा लगा देना
जिसको इस दुनिया में अपनी माँ
का नाम दे देना...
पानी जब भी दोगे उसमे
तुम्हें बरसात से भिगो देगा
जो ना दे सके माँ को तुम
प्यार समर्पण सब देना...
देख के उस अनमोल वृक्ष को
रोज थोड़ा मुस्करा देना...
वृक्ष भी माँ के नाम का है
कैसे रखेगा तुम्हारा उधार
सारी सृष्टि इसके बदले
देगी आशीष हजार
उस महान वृक्ष को तुम
मन का भाव सुना देना...
जब ना हो कोई संगी साथी
बैठ उस वृक्ष की छाया मे जाना
माँ के आंचल सा अनुभव
उस एक वृक्ष से पाना
उस एक वृक्ष से पाना