कविताअन्य
सारो जग से प्यारो लागो
मुझको म्हारो गांव ।
आपड़ो हर सांस में बसता
म्हारो प्यारो आपडो गांव ।
इसके कण कण में समायो
अपने पन की मिसिरी ।
इससे जुड़ी हैं अपनी यादें
जो भूले से ना बिसरी ।
मेरे अपने मनमंदिर में
गांव की मूरत बसती है ।
लोग यहां अलमस्त हैं रहते
यहां हर कोने में मस्ती बसती है ।
मेरा मेरे गांव से बड़ा ही निर्मल नाता है ।
इस गांव में सबको मिल जुल के रहना आता है ।
एक तरफ पछुआ पवन
दूसरी तरफ पेड़ो की शीतल छांव है
मेरे मन मंदिर में बसता
हर पलमेरा गांव है
सारों जग से प्यारो लागो
मुझको लागो प्यारो म्हारो आपडो गांव ।