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इन्सां ने अपनी ज़मीं और घर बदला है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

इन्सां ने अपनी ज़मीं और घर बदला है

  • 10
  • 2 Min Read

साल बदलने से यहाँ कब किसीका मुक़द्दर बदला है
मुक़द्दर जिस का बदला वक़्त उस का इधर बदला है

तारीख़ गवाह है कि तक़दीर बदलने के लिए अपनी
वक़्त बेवक़्त इन्सां ने अपनी ज़मीं और घर बदला है

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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