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कवितानज़्म
सब के नसीब में मयस्सर होती नहीं हैं बेटियाँ पसंद खुदा को हो जो घर होती वहीं हैं बेटियाँ बेटों से किसी सूरत कम होती नहीं हैं बेटियाँ मां-बाप केलिए बेटों से बढ़ कर रही हैं बेटियाँ @ "बशर" بشر