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मां-बाप केलिए बेटोंसे बढ़ कर रही हैं बेटियाँ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मां-बाप केलिए बेटोंसे बढ़ कर रही हैं बेटियाँ

  • 15
  • 1 Min Read

सब के नसीब में मयस्सर होती नहीं हैं बेटियाँ
पसंद खुदा को हो जो घर होती वहीं हैं बेटियाँ

बेटों से किसी सूरत कम होती नहीं हैं बेटियाँ
मां-बाप केलिए बेटों से बढ़ कर रही हैं बेटियाँ
@ "बशर" بشر

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