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खुद्दार लड़का - Shashi Dhar Kumar (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायकलघुकथा

खुद्दार लड़का

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झारखंड के एक छोटे से गाँव में रमेश रहता था उसके माँ-बाप बहुत ही गरीब थे। वह एक सरकारी विद्यालय में पढ़ता था। वह काफी मेधावी था चाहे वह पढाई हो या खेल हो दोनों में वह गाँव के विद्यालय में हमेशा अव्वल आता था। उसे हॉकी खेलने का बहुत ही जूनून सवार था आस-पास होने वाले टूर्नामेंट में वह भाग जरूर लेता इसी वजह से उसके खेल में निखार आता चला गया। उसका सपना था की एक दिन वह भारत के लिए खेले। लेकिन पैसे की तंगी और आस-पास कोई भी अच्छा सा हॉकी के प्रशिक्षण के लिए अकादमी का ना होना उसके लिए सबसे बड़ी समस्या थी। गाँव वाले उसे आर्थिक सहायता देकर कही और भेजना चाहते थे ताकि वह गाँव का नाम रौशन करे और उनके गाँव में भी सड़क, बिजली और पानी के लिए स्थानीय सरकार सोचे। लेकिन उसने बड़ी ही शालीनता के साथ पैसे लेने से मना कर दिया, यह कहकर की अगर मैं आगे बढूँगा तो सिर्फ अपने मेहनत के दम पर, क्योंकि रमेश गरीब जरूर था लेकिन खुद्दार था। यह भी एक विडंबना थी की आज़ादी के इतने सालों बाद भी उसके गाँव में इन मुलभुत समस्याओं का अभाव था। एक बार वह जिला स्तरीय किसी टूर्नामेंट को खेलने पास के जिले में गया था और संयोगवश राष्ट्रीय स्तर के कई पदाधिकारी इस खेल को देखने आये थे और रमेश ने इस टूर्नामेंट में भी जी -जान लगा दिया और हैट्रिक मारकर अपने टीम को पहले पायदान पर ले आया और उसके टीम को मैडल और ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। उसके खेल को देखकर जो पदाधिकारी आये थे उन्होंने रमेश को अपने पास बुलाया और बात किया। उस खेल को देखने जिलाधिकारी भी आये थे फिर उनसे बात कर रमेश के गाँव में मुलभुत समस्या के समाधान के लिए आग्रह किया, साथ में यह भी बोल गए कि इसके घर के लिए सरकारी दायरे में जितनी सहायता हो उन्हें करना चाहिए। रमेश को कहा आज से तुम घर की चिंता छोड़ो और हमारे साथ राष्ट्रीय हॉकी अकादमी चलो और तुम्हारे घर हर महीने एक निश्चित रकम छात्रवृति के तौर पर भेज दी जाएगी। इससे तुम्हारे घर की भी चिंता दूर हो जाएगी, तुम इसे एक नौकरी की तरह समझ सकते हो और आज से तुम्हारा पूरा खर्चा अकादमी उठाएगी।

समय के साथ रमेश एक दिन भारत के लिए खेल पाया और अपने गाँव का नाम रौशन कर पाया। अब उसके गाँव में सड़क,बिजली और पानी की समस्या हमेशा के लिए ख़त्म हो गया। अब रमेश अपने गाँव में ही हॉकी का एक अकादमी खोलना चाहता है जो उन जैसे मेहनती लड़कों या लड़कियों को अपने गाँव में रहकर विश्वस्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इस तरह एक छोटे से गाँव का गरीब और खुद्दार लड़का अपने गाँव और समाज के लिए मिसाल बन पाया।
©️✍️ शशि धर कुमार

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