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कवितानज़्म
बिन मांगे हर शय हुई मयस्सर मुझे क़ायनात में अगरचे एकचीज़ मांगी वही नहीं मिली हयात में हर - बात में जिस शख़्स को याद किया हम ने उसने न किया शरीके-हयात हमें किसी बात में @बशर