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रंग ला रही है मेहनत इन्सान की - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रंग ला रही है मेहनत इन्सान की

  • 7
  • 1 Min Read

उस तरफ़ सिक्का उछाला जा रहा है
और इधर बाजी लगी है जान की,

हरसू उसीके नामका डंका बजरहा है
रंग ला रही है मेहनत इन्सान की!

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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