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मुमकिन नहीं मुलाक़ात है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुमकिन नहीं मुलाक़ात है

  • 32
  • 2 Min Read

पताही नहीं हयात में झंझावात है के झंझावात में हयात है
हां मग़र अक़्सर जिंदगी से जुदा जिंदगी में कोई तो बात है

अगर मिरे शहर में दिन है तो "बशर" उन के वहाँ पर रात है
चाहतें हैं वस्लकी पर किसीसूरत मुमकिन नहीं मुलाक़ात है

© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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