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प्रेम नियति - Ankit Hemashan (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

प्रेम नियति

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प्रेम नियति

घूम रहे थे दोनों बाग में, प्रकृति के प्रेम में
बहुत खुशनुमा क्षण था, एक दूसरे के मिलन में
इस बीच उनके पांव गए लड़खड़ा
यथा शीघ्र मैने उसे संभाला
उसने मुझे मुस्कान दिया, प्यारी सी, मोहिनी सी
और हम दोनों फिर बातें करते हुए टहलने लगे
एक बार वो फिर से लड़खड़ा गई चलते चलते
मैंने उसे फिर से संभाल लिया अपने बाहों मे ले के
और कहा ध्यान कहां है तुम्हारा, चलो जरा संभल कर
एक क्षण रुकी और मुझे प्रेममयी आंखों से देख कर
फिर कहा ध्यान तो तुम्हारे ही बातों पर है
रास्तों पर नहीं, तुम्हारी जज़्बातों पर है
और संभालने के लिए तुम हो ना मेरे साथ
मैं इतना भी लापरवाह ना रहूं, गर हो तुम साथ
मैं कहा हां ठीक है रहो निश्चिंत जब तक मैं हूं साथ
संभाल लूंगा हर बार, तुम में हिम्मत का करूं संचार
लेकिन क्रूर वक्त और भाग्य का क्या भरोसा
वक्त के सितम से, भाग्य के करम से गर हम हो गए जुदा
फिर उसने कहा क्या इतने कमजोर हो तुम और तुम्हारा मन
बिना संघर्ष, बिछड़ जाओगे भाग्य को कर के दोषारोपण
मैं इतना हुं तुम्हारे लिए मुल्यहीन और साधारण
मेरे लिए जरा भी नहीं करोगे प्रयत्न
मैंने कहा सब तुम्हारे मन और प्रेम पर है
उसने पूछा कैसे सब कुछ मेरे पर निर्भर है
मैंने कहा विकट परिस्थिति लड़, अटल ज्योति मन के साथ
गर तुमने कहा मुझे चाहिए तुम्हारा उम्रभर का साथ
जगत से, नियति से, अधिपति से मैं जाऊंगा लड़
दुर्गम मार्ग को भी मैं बना दूंगा कंटकहीन सरल
गर विपत्तियों से हार कर या अन्य कारण
तुम्हीं मेरा साथ ना चाहो, दूर होने को हो मन
मैं तुम्हें स्वतंत्र कर दूंगा उसी क्षण से, बंधन से
ससम्मान विदा दे दूंगा अपने जीवन से
मेरा प्रेम तुम्हें कैद, बंधन का एहसास नहीं देगा
बलात, घुटन भरी स्वांस नहीं देगा
लडूंगा तो मैं यहां भी किंतु अपनी पीड़ा, इच्छा और मन से
तुमसे लड़, तुम्हें पास ना रखूंगा विरुद्ध तुम्हारे मन के
इसलिए पूर्णतः तुम्हारे प्रेममय मन पर है कि रहे साथ में
या दोनों संसार के भीड़ में खो जाए वक्त के बहाव में
क्योंकि मैं, मैं हुं ही नहीं, प्रेम में घुल, बन चुका हूं तुम
बिन तेरे मिटूंगा नहीं, उच्चतम मैं हो जायेगा गुम
ये कहते हुए मेरी आँखें डबडबा आईं थी
और उनकी ओर देखा उसकी भी आंखें भर आई थी
आंख बना मन का दर्पण, थी मौन स्वीकृति प्रेम आलिंगन
और मैंने पूर्ण अधिकार से कर लिया उसका मस्तक चुम्बन
मस्तक चूम कर गले लगाने के बाद
एक दिव्य अनुभूति मिली युगों के बाद

अंकित हेमाषण

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