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कविताअन्य
प्रेम नियति
घूम रहे थे दोनों बाग में, प्रकृति के प्रेम में
बहुत खुशनुमा क्षण था, एक दूसरे के मिलन में
इस बीच उनके पांव गए लड़खड़ा
यथा शीघ्र मैने उसे संभाला
उसने मुझे मुस्कान दिया, प्यारी सी, मोहिनी
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