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आज का दिन - Ankita Bhargava (Sahitya Arpan)

कवितागजल

आज का दिन

  • 393
  • 2 Min Read

आज का दिन

आज का दिन खिला खिला सा है
तेरा आना तो इक दुआ सा है

अक्स मेरा है तेरी आंखों में
सब्र अब तो यही ज़रा सा है

अश्क रूठे हैं आजकल शायद
आंख सूखी है दिल धुँआ है

बात छूटी थी कल अधूरी जो
राज़ दिल में कहीं छिपा सा है

बह गए बारिशों में पुल सारे
नाखुदा अब तू ही खुदा सा है

फ़र्क सच झूठ का समझ लेगा
दिल भी तो एक आइना सा है

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

Ankita Bhargava3 years ago

शुक्रिया

Pratik Prabhakar

Pratik Prabhakar 3 years ago

बहुत खूब

Ankita Bhargava3 years ago

जी शुक्रिया

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

Ankita Bhargava3 years ago

जी शुक्रिया

अजय मौर्य ‘बाबू’

Ankita Bhargava3 years ago

आभार सर

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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