कहानीअन्यलघुकथा
निराली दुनिया
स्वप्नों की दुनिया भी निराली होती है। आंखें बंद हैं मगर अचेतन में फिल्म चल रही है। कभी नींद खुलने पर सपने याद नहीं रहते तो कभी भुलाए नहीं भूलते।
मुझे अक्सर ही सपने आते हैं। कुछ लोगों ने कहा जो जागते समय नहीं कर पाते,वहीं इच्छाएं सपने बनती हैं।मगर भयानक सपनों का क्या? क्या चेतन अवस्था में मैं वह सब सोच भी सकता हूं?
बहरहाल कल के सपने की बात बताता हूं।कल मैं पहुंच गया,'मृतक देश',है न,अजीब सपना ? यह एक रहस्यमयी जगह थी,जो एक सुनसान इलाके में थी।यह गांव सा रहा होगा।एक ऐसी जगह थी जहाँ सिर्फ मरे हुए लोग रहते थे।आसपास पहाड थे, झोपड़ियाँ भी थीं, जो पहाड़ के पत्थरों से बनी थीं, इनमें शायद ये रहते रहे होंगे,जो आज मुर्दा हैं ।
देखने में तो यह जगह बहुत ही सुन्दर थी,पर न इंसान, न परिंदा था,जिससे यह वातावरण भयानक डर पैदा कर रहा था। हिम्मत करके मैं एक झोंपड़ी तक गया,अंदर झांका तो देखा मृत शरीर इन झोपड़ियों में रखे थे।
मैंने अन्य झोपड़ियों में भी वही नज़ारा देखा।
यहाँ सुरंगनुमा रास्ते थे।एक बार तो मैंने सोचा सुरंग में घुस कर देखूं ,फिर डर गया वापस नहीं आ पाया तो?
थोड़ा और आगे बढ़ने पर मैंने एक जहाज देखा!जी हां,जहाज।उस पर लिखा था,'मौत का जहाज़!'और जगह थी श्मशान!
यह जहाज एक विशाल श्मशान में खड़ा था।
श्मशान के आस पास और जहाज़ भी थे।कुछ मृत शरीर लकड़ी के ताबूतों में रखे हुए थे।इन ताबूतों का आकार जहाज़ जैसा था।
एक सुरंग के कुछ फासले पर एक कुआं था। मैंने उत्सुकतावश कुँए में झांका।कुंआ सूखा था। उसमें सिक्के थे, इतने कि गिने नहीं जा सकते थे।
मुझे कुछ अदृश्य,धुंधले और हवा के समान सूक्ष्म शरीर हवा में उड़ते हुए दिखाई दिए। मैंने उन्हें छूना चाहा मगर फिर मैं डर गया। शायद वे प्रेत आत्माएं थीं। वे अच्छी थीं या बुरी, मुझे नहीं मालूम। कुछ मेरे पीछे- पीछे आने लगीं। मुझे लगा ,शायद वे मुझे अपना शिकार बना लेंगीं। और तभी मैं चीख उठा।मेरी नींद खुल गई। मैं पसीने से लथपथ था और बेतहाशा कांप रहा था।मुझे यह सपना कई दिनों तक परेशान करता रहा।
रहस्यमय स्वप्न.! सपनों का संसार बड़ा विचित्र और रहस्यमय होता है, स्वप्न लेकिन कितनी भी कोशिश करें, याद नहीं रहते. सिगमन्ड फ्रायड ने स्वप्नों की अलग ही व्याख्या की है.