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कवितानज़्म
बिनचिट्ठी बिनतार मां से बातें होती थीं सुखद सुहानी सलोनी वो रातें होती थी गुज़री हुई सब यादें ताजा हो जाती थी सपनों में जब मां से ढेरों बातें होती थी © "बशर" بشر bashar