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सफेद - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

सफेद

  • 176
  • 3 Min Read

प्रतियोगिता से इतर

सफेद चौला पहन वो दुल्हन सी नज़र आती है।
साज श्रृंगार में वो गुड़िया सी नज़र आती है।
सफेद साड़ी भी उसके होंठो की रंगत से रँगी है।
लाली लिपिस्टिक बिन वो खुले बाल लहराती है।
न हमदर्द उसका न चाहने वाला कोई है।
वो तो हवा है बस सर्द सी जमी नज़र आती है।
कभी मिली जो पानी से पानी सी बह जाती है।
भाँप बनकर कभी हवा में घुलती नज़र आती है।
न सजती है न सँवरती है कभी वो गोरी
हाथों में खन - खन बजती सी नज़र आती है।
शरीर में लहर जैसे उठती है उसके।
अदनी सी बर्फ है कलेजे को ठंडक पहुंचा देती है। - नेहा शर्मा।

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Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

लाजावाब

नेहा शर्मा3 years ago

बहुत बहुत शुक्रिया

प्रपोजल
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माँ
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