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सुकूने-क़ल्ब हवा हुए के इतने ग़रीब हुए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सुकूने-क़ल्ब हवा हुए के इतने ग़रीब हुए

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  • 1 Min Read

इस क़दर दूर हुए कि फिर न करीब हुए
हबीब भी रक़ीब हुए कैसे ये नसीब हुए

दौलत क्या हुई कि येह शोहरत क्या हुई
सुकूने-क़ल्ब हवा हुए के इतने ग़रीब हुए

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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