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कवितानज़्म
ग़ुरबत में बशर यहाँ पर इक ग़रीब के ईमान की क़ीमत कहाँ आग पेट की बुझाने कोड़ियों में बिके इन्सान की क़ीमत कहाँ © 'बशर' بشر.