कवितागीत
शीर्षक-मौन स्वीकृति
इक दिन तु सुबह सुहानी बनेगी
आधी नहीं पूरी कहानी बनेगी
चंचलता तेरी तन-मन में बसेगी
नीरव की गुंजित निशानी बनेगी
"नीरव"
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जब भी फोन की ये धुन आती है
दिल की तारें भी सरगम गाती है
तेरी बेसब्री है या अल्हड़पन
हारा मैं तुमपे अपना ये जीवन
ये तेरी सुंदर चुलबुलता
मेरी ख़ामोशी की जुबानी बनेगी
इक दिन तु सुबह सुहानी......
मीठे कुसुमासव सी तेरी बोली
कानों ने खुद ही मिश्री है घोली
मेरे अन्तर्मन के जो सातों सुर
वाणी खुद वीणा बजाये मधुर
यूं तेरी खिलखिल मुस्कुराहट
बारिश की बूँदों का पानी बनेगी
इक दिन तु सुबह सुहानी......
(गुँजन)
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जब से तुम बने मेरे मन के मीत
झूमता गगन धरती गाये गीत
दिल जिगर में तुम हर नज़र में तुम
सजना लागी है अब तो तुम संग प्रीत
तू मेरा भंवरा मैं हूँ इसकी गूँजन
संग -संग तेरे जिंदगानी कटेगी
इक दिन मैं सपनों की रानी बनूंगी
पूरी मैं तेरी कहानी बनूंगी
तू मेरा प्रियतम और दिलबर बनेगा
मैं नीरव की गुंजित निशानी बनूंगी
(नीरव -गुंजन )
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तेरा निर्मल मन और निश्चल हंसी
करती है मेरे दिल में रोशनी
तू है इक दीपक मैं इसकी बाती
दुनिया दोनों से जगमगाती
हम दोनों की पावन मौन अनुरक्ति
स्वीकृति सहमति सानी बनेगी
इक दिन तू सुबह सुहानी बनेगी
आधी नहीं पूरी कहानी बनेगी
मैं तेरा प्रियतम तू मेरी सजनी
प्रेयसी मेरी दिलबरजानी बनेगी ।
सपना यशोवर्धन व्यास 💞❤🌑🙏