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हयात ए डवाँ-डोल का मीज़ान लिखते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हयात ए डवाँ-डोल का मीज़ान लिखते हैं

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लो हम भी आज बशर अपने सुख़न का दीवान लिखते हैं
तुझसे है चमन में रोनक तुझबिन दुनिया वीरान लिखते हैं

इक तिरे आ जाने से खिजा में आ जाती है मौसमे -बहार
तुझ को अपनी हयात ए डवाँ-डोल का मीज़ान लिखते हैं
© "बशर" بشر

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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