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होती नहीं खुद ही से खुदकी मुलाक़ात - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

होती नहीं खुद ही से खुदकी मुलाक़ात

  • 4
  • 1 Min Read

हैं तन्हा मिरे दिन और हैं तन्हा मेरी रात
बसर हो रही है 'बशर' तन्हा मेरी हयात

तन्हाई का अपनी आलम ये है दोस्त के
होती नहीं खुद ही से खुदकी मुलाक़ात

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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