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किस्सा मेरा उनको अफ़्साना जरासा लगा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

किस्सा मेरा उनको अफ़्साना जरासा लगा

  • 46
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किस्सा मिरा उन को अफ़्साना जरा - सा लगा
जल्द मरमिट जाऊँगा उन्हें मैं अधमरा-सा लगा
हमारा गुलिश्तां कभी न सर- शब्ज नज़र आया
घर गैरों का ही सदा उन को हरा -भरा सा लगा
© "बशर" "bashar"بَشَر 🍁

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