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कवितानज़्म
बच्चा बड़ा हो गया है खड़े अपने पैर पर मुसाफ़िर चल पड़ा है दुनिया की सैर पर ग़ाफ़िल को आता नहीं है पानी में तैरना है पार करना उस को भवसागर तैर कर @"बशर"